Monday, March 3, 2025

मनुष्य की इच्छा शक्ति से बढ़कर कोई नहीं

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

बुद्ध को गौतम इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका पालन पोषण उनकी मौसी महा प्रजापति गौतमी ने किया था। बुद्ध यानी सिद्धार्थ के जन्म के साथ दिन बाद उनकी मां महामाया की मृत्यु हो गई थी। महाप्रजापति गौतमी वह पहली महिला थीं जिसने बौद्ध धर्म में भिक्षुणी बनने का सौभाग्य प्राप्त किया था। 

महात्मा बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में नवजात पुत्र राहुल और पत्नी यशोधरा को छोड़ दिया था और सत्य की खोज में घर से निकल पड़े थे। तथागत दूसरों को तमाम विपदाओं में घिरा देखकर उनकी समस्याओं को दूर करना चाहते थे। एक बार की बात है। महात्मा बुद्ध श्रावस्ती में प्रवचन दे रहे थे। 

उनके एक शिष्य ने जिज्ञासावश पूछ लिया कि भंते! कोई इस निर्जीव पत्थर पर शासन कर सकता है क्या? 

यह सुनकर बुद्ध मुुस्कुराए और बोले, क्यों? लोहे की हथौड़ी-छेनी से पत्थर को टूटते नहीं देखा है क्या? 

तब शिष्य ने कहा कि तब तो लोहा इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली है। 

बुद्ध बोले, लोहे को तो आग जलाकर द्रव्य बना देती है। लोहा सबसे शक्तिशाली कैसे हुआ?

उस शिष्य ने फिर कहा-फिर तो आग से बढ़कर कोई नहीं हो सकता है। 

अब बुद्ध मुस्कुराए और बोले, आग पर पानी पड़ते ही आग तो तुरंत बुझ जाती है। 

शिष्य अब भी अपनी बात आगे बढ़ाने पर तुला हुआ था, तब पानी निश्चित रूप से सर्वशक्तिमान है।

बुद्ध फिर बोले, पानी को तो हवा सोख लेती है। उसे अपने साथ बहा ले जाती है। 

शिष्य बोला, फिर तो हवा ही सबसे शक्तिशाली है। 

बुद्ध ने कहा कि इनसान अपनी इच्छा शक्ति से उद्यम करके हवा की दिशा बदल देता है। इस संसार में मनुष्य की इच्छा शक्ति से बढ़कर कोई दूसरी शक्ति नहीं है। मनुष्य अपनी इच्छा शक्ति के बल पर कुछ भी कर सकता है। यह सुनकर उस शिष्य की सारी जिज्ञासाएं शांत हो गई और वह दूसरे काम में लग गया।



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