अशोक मिश्र
ब्रिटिश रायल एयरफोर्स के सबसे जांबाज पायलटों में से एक थे डगलस बेडर। उनके पिता प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश फौज में मेजर थे। सन 1917 में युद्ध के दौरान उनके शरीर में कुछ छर्रे लगने से वह घायल हो गए थे और इन घावों के चलते ही 1922 में उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद उनका परिवार आर्थिक दबाव में आ गया था। डगलस बेडर को इसके बाद आक्सफोर्ड के सेंट एडवर्ड स्कूल में खेल छात्रवृत्ति मिल गई।
उन्होंने 1928 में क्रैनवेल एयर फोर्स अकादमी में पुरस्कार स्वरूप कैडेटशिप भी जीती। बेडर ने पानी में उड़ने की कला सीखी तथा केवल साढ़े छह घंटे की ट्रेनिंग के बाद ही अकेले उड़ान भरने लगे। लेकिन एक हवाई दुर्घटना में उन्होंने 1931 में अपने दोनों पैर गवां दिए। एक पैर घुटने से नीचे और दूसरा पैर घुटने से ऊपर काट दिया गया।
इसके बाद भी डगलस ने अपना साहस नहीं खोया और उन्होंने अपने अधिकारियों से मिलकर एयरफोर्स में दोबारा काम करने का निवेदन किया। सेनाधिकारियों ने अपनी मजबूरी जताई क्योंकि शारीरिक अक्षम व्यक्ति को सेना में कैसे भर्ती किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि पाटलट बनने के लिए जो परीक्षाएं ली जाती हैं, उससे कहीं ज्यादा कठिन परीक्षा मेरी ली जाए।
अंतत: उस कठिन परीक्षा में भी वह पास हुए। ब्रिटिश रायल एयरफोर्स में उन्हें दोबारा पायलट बना लिया गया। उन्होंने इंग्लैंड-जर्मनी युद्ध में दुश्मन के 15 विमान मार गिराए। जंग खत्म होने के बाद जब विजय दिवस मनाया गया, तो सारा लंदन उन्हें सलामी देने के लिए इकट्ठा हुआ था। लोगों ने उनकी वीरता और साहस की प्रश्ांसा की। ब्रिटेन ने उनके देशप्रेम की भूरि भूरि सराहना की।
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