Friday, September 26, 2025

सबके सामने स्वीकार करो अपने पाप

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

लियो टॉलस्टॉय की गिनती दुनिया के महान साहित्यकारों में होती है। वह रूस के एक जमींदार परिवार में पैदा हुए थे। उन्हें बचपन से ही अमीरों को मिलने वाली सारी सुख-सुविधाएं हासिल थीं। वह साहित्य के क्षेत्र में ही नहीं रमे, कई युद्धों में भी भाग लेकर रूसी सेना को विजय दिलाई थी। क्रीमिया युद्ध के बाद उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह साहित्य को समर्पित हो गए। 

अमीर घराने में पैदा होने के बाद भी उन्हें चैन नहीं मिलता था। अंतत: उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति त्याग दी। एक बार की बात है। वह अपने आवास के निटकवर्ती चर्च में बहुत सुबह पहुंच गए। उनका मानना था कि अभी चर्च में कोई नहीं आया होगा। लेकिन जब वह अंदर पहुंचे, तो देखा कि एक व्यक्ति ईसा मसीह की मूर्ति की ओर मुंह किए अपने पापों के लिए क्षमा मांग रहा है। 

उन्होंने सुना कि वह कह रहा है कि हे प्रभु! मैंने अपने जीवन में बहुत पाप किए हैं। मेरी वजह से कई परिवार उजड़ गए। कई लोगों की बस्तियां मैंने उजाड़ दी। मेरा पाप क्षमा के योग्य न होते हुए भी मंै अपने कर्मों के लिए आपके सामने क्षमा मांगता हूं। जब टॉलस्टॉय ने उस व्यक्ति को बड़े गौर से देखा, तो उसे पहचान गए। वह व्यक्ति नगर का सबसे धनी व्यापारी था। 

उन्हें सामने देखकर व्यापारी ने कहा कि अभी मैंने जो कुछ कहा, वह मेरे और ईश्वर की बात है। यदि तुमने सुन लिया है, तो उसे किसी के सामने मत कहना। टॉलस्टॉय ने कहा कि हां, मैंने सभी बातें सुन ली हैं। लेकिन आपका यह पश्चाताप अधूरा है। सच्चा पश्चाताप तो तब होगा, जब आप सबके सामने अपने पापों को स्वीकार कर लो। तभी ईश्वर भी तुम्हें माफ करेगा। यह सुनकर धनी व्यापारी अपना सिर झुकाकर चला गया।

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