हरियाणा में गरीबों की संख्या को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। विपक्ष प्रदेश सरकार पर आरोप लगा रही है कि उनकी नीतियों ने प्रदेश की 75 प्रतिशत जनता को गरीबी की सीमारेखा से नीचे लगा दिया है। हालांकि सरकार विपक्ष के आरोप को नकारते हुए प्रदेश की गरीबी को दूर करने का दावा करती है। यह सवाल कई बार उठता रहता है कि क्या सचमुच हरियाणा किसी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है? लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल जब प्रदेश में चुनाव नहीं हुए थे, तब बीपीएल कार्डधारकों की संख्या में एकाएक वृद्धि दर्ज की गई थी।
अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2024 के बीच राज्य में गरीबी रेखा से नीचे राशन कार्डधारकों की संख्या में पांच गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इस बीच 8.8 लाख से बढ़कर 46.4 लाख बीपीएल राशनकार्ड धारक हो गए थे। एक बार तो यह भी सवाल उठने लगा था कि प्रदेश में क्या एकाएक गरीबी बढ़ गई है जो दो साल में बीपीएल कार्डधारकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया, जांच कराने पर वोटबैंक प्रभावित होने का खतरा था।
प्रदेश के सबसे गरीब व्यक्तियों के लिए चलाई जा रही अंत्योदय अन्न योजना में भी एकाएक बढ़ोतरी देखी गई। अंत्योदय अन्न योजना में लाभर्थियों की संख्या में बीस प्रतिशत की वृद्धि पाई गई। साल 2022 में जिन अंत्योदय अन्न योजना की संख्या 2.44 लाख थी, वही 2024 तक आते आते 2.92 लाख हो गए। बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या में बढ़ोतरी ग्रामीण इलाकों में भी देखी गई। शहरों में बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी पाई गई। औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर फरीदाबाद में ही तीन लाख से अधिक बीपीएल कार्डधारक बढ़े। इसके अलावा करनाल और हिसार जैसे समृद्ध जिलों में भी यही रुझान पाया गया।
अगर इस आधार पर बात की जाए, तो सचमुच हरियाणा में भीषण गरीबी है और लोग इस गरीबी को झेलने को मजबूर हैं। हरियाणा में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ने से भी बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ, ऐसा समाजशास्त्रियों का मानना है। इन लाभार्थियों में कुछ ऐसे भी लोग शामिल पाए गए हैं जिनके पास पहले से ही जमीनें हैं और वह सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए इसमें शामिल हुए हैंं। यही वजह है कि सरकार बनने के बाद जब मामले की छानबीन शुरू हुई, तो पूरे प्रदेश में लाखों लोगों ने अपना नाम बीपीएल से कटवा लिया या कार्ड का रिवीजन नहीं करवाया ताकि सरकारी शिकंजे में फंसने से बचा जा सके।
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