Sunday, September 21, 2025

स्वच्छता अभियान तो चला लेकिन नहीं दिखी सफाई

अशोक मिश्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर हरियाणा के सभी जिलों में मंत्रियों, अधिकारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने 17 सिंतबर बड़े जोरशोर से सड़कों पर स्वच्छता अभियान चलाया। पीएम मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में भाजपा ने सेवा पखवाड़ा मनाने का ऐलान किया है। पूरे पखवाड़े प्रदेश में सेवा की जाएगी। लेकिन ज्यादातर मामलों में यह देखने में आया है कि जहां स्वच्छता अभियान चलाया गया,वह स्थान अपेक्षाकृत पहले से ही साफ सुथरे थे। जिन स्थानों पर गंदगी थी, कूड़ा करकट भरा पड़ा था, उस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। 

साफ सड़कों पर स्वच्छता अभियान चलाने का कोई मतलब नहीं है। प्रशासन की निगाह उन जगहों पर क्यों नहीं पड़ती है जो इलाके पहले से ही गंदे हैं। शहरों में बहुत सारी जगहें ऐसी हैं जिनके किनारे से गुजरना, किसी मुसीबत से कम नहीं है। कुत्ते और लावारिस पशु इन जगहों पर अपने भोजन तलाशते हुए मिल जाते हैं। इन पशुओं की वजह से कई बार हादसे भी हो जाते हैं। कई लोगों की जान भी ऐसे हादसों में जा चुकी है। 

वैसे यह बात सही है कि मंत्रियों, अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है, लेकिन इससे कितने लोग जागरूक हो पाएंगे यह कह पाना बहुत मुश्किल है। सबने सफाई अभियान में भाग लेकर लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया कि प्रदेश को स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है। शहर के गंदा रहने से लोगों के बीमारियों से ग्रसित होने की आशंका रहती है, वहीं शहर की छवि भी खराब होती है। 

हालत यह है कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में थोड़ी सी बरसात होने पर सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। सड़कों पर खुले मैनहोल और सीवेज बरसात में जानलेवा साबित हो रहे हैं। अब जब बरसात विदा हो रही है, इसके बावजूद कई जगहों पर सड़कों पर पानी भरा हुआ है। ऐसी स्थिति में शहरों में स्वच्छता अभियान चलाने का कितना फायदा होगा, इस पर भी विचार करना होगा। ऐसी स्थिति में सबसे उपयुक्त यही होगा कि बरसात खत्म होते ही यदि स्थानीय निकाय के अधिकारी-कर्मचारी सहित स्वयंसेवी संस्थाएं स्वच्छता अभियान चलाएं तो नगरों को साफ सुथरा रखा जा सकता है। 

इसके लिए जरूरी है कि जनभागीदारी के लिए स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाए। साथ ही रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों और गैर-सरकारी संगठनों के सदस्यों को भी अभियान से जोड़ा जाए। जब सामूहिक प्रयास होगा, तो सड़कें साफ सुथरी ही नहीं रहेंगी बल्कि जलजमाव की वजह से फैलने वाली बीमारियों पर भी अंकुश लगेगा।

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