Wednesday, September 24, 2025

दुराचारियों को राहत नहीं देने का हाईकोर्ट का फैसला बिल्कुल सही

अशोक मिश्र

बलात्कार किसी भी महिला के साथ किया गया जघन्यतम अपराध है। जब किसी बच्ची या महिला से कोई दुराचार करता है, तो वह उसके शरीर के साथ-साथ उसकी आत्मा तक को छलनी कर देता है। ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार की रियायत नहीं बरतनी चाहिए। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को पहले पॉक्सो मामले के आरोपी की जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि पॉक्सो के आरोपियों को राहत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। 

दरअसल, मामला यह था कि आरोपी ने अपनी नाबालिग चचेरी बहन के साथ दुराचार किया, उसका अश्लील वीडियो बनाया और अपने एक साथी को भी इस दुराचार में शामिल कर लिया। नाबालिग ने नौ महीने बाद अपने स्कूल के शौचालय में एक बच्चे को जन्म दिया और उस नवजात को ले जाकर कूड़ेदान में डाल दिया। पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन की तो सच बाहर आया। दोनों आरोपी गिरफ्तार किए गए और उन्हें जेल में डाल दिया गया। सोमवार को मुख्य आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि देश-प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। 

ऐसी स्थिति में दुराचार के मामले में किसी प्रकार की छूट देने से बच्चों और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। समाज में गलत संदेश जा सकता है। सच भी यही है। हमारे देश और प्रदेश में यौन शोषण और दुराचार की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि नरपिशाच दो-तीन साल की बच्चियों तक को अपनी हवस का शिकार बना रहे हैं। ऐसे आरोपियों को कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। हमारे समाज की एक मनोवृत्ति यह भी है कि जब कोई महिला या नाबालिग ऐसी स्थिति से गुजरती है, तो परिवार, नाते-रिश्तेदार और समाज के लोग दुराचार का दोषी उसे ही मान लेते हैं। 

मानो उसने जानबूझकर अपना दुराचार करवाया हो। दुराचार करने वाला तो समाज में सिर ऊंचा करके चलता है और पीड़ित को कई तरह की सामाजिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। जो पीड़ित है उसे अपना मुंह छिपाकर कहीं आना जाना पड़ता है। जबकि होना यह चाहिए था कि पूरे समाज को पीड़िता के साथ खड़ा होना चाहिए। उसे आरोपी को सजा दिलाने में मदद करनी चाहिए। 

उसके साथ सहानुभूति होनी चाहिए क्योंकि उसके साथ बुरा हुआ है। लेकिन नहीं, होता इसका उलटा है। अपराधी इस कृत्य को अपनी मर्दानगी मानता है। वह समाज के सामने भी लज्जित नहीं होता है। कई बार यह भी देखने को मिलता है कि पीड़िता के परिजन ही अपने परिवार की महिला को ही दोषी मान लेते हैं।

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