अशोक मिश्र
एक अक्टूबर 1847 को लंदन में डॉक्टर के घर में पैदा हुई एनी बेसेंट ने भारतीय दर्शन को पूरी तरह आत्मसात कर लिया था। इनके पिता की मृत्यु तब हो गई थी जब वह पांच साल की थीं। इनकी पढ़ाई लिखाई कई देशों में हुई थी, इस वजह से इन्होंने कई भाषाओं में प्रवीणता हासिल कर ली थी।
युवावस्था में इनका परिचय रेवरेंड फ्रैंक नामक पादरी से हुआ। दोनों एक दूसरे की ओर आकर्षित हुए और उन्होंने शादी कर ली। लेकिन यह शादी सफल नहीं हुई क्योंकि पादरी संकुचित विचारों का था। वह बात-बात में एनी बेसेंट के स्वतंत्र विचारों को गलत बताते हुए विरोध किया करता था।
वह स्त्रियों का सम्मान भी नहीं करता था। इस वजह से एनी बेसेंट को लगने लगा कि उनका इस पादरी से विवाह करने का फैसला काफी गलत था। एक दिन पादरी ने एनी बेसेंट को काफी कटु बात कही जिसकी वजह से वह काफी आहत हुईं। उन्होंने आत्महत्या करने की सोची। इसके लिए उन्होंने जहर भी मंगवाया, लेकिन जैसे ही वह जहर पीने लगीं, उन्होंने लगा कि कोई कह रहा है, तुम कायर हो?
यह महसूस करने के बाद एनी बेसेंट ने जहर की बोतल खिड़की से बाहर फेंक दी और अपने पति का घर छोड़कर मायके आ गईं। इसके बाद इन्होंने कई देशों की यात्रा की। इसी क्रम में वह भारत आईं और फिर भारत की ही होकर रह गईं। भारत में आने के बाद इन्होंने कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया।
मदन मोहन मालवीय के साथ इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण करने में काफी सहयोग दिया। उनके जीवन का ज्यादातर समय वाराणसी में ही बीता। वह गांधीवादी दर्शन की घोर आलोचक थीं। 20 सिंतबर 1933 को उनकी मृत्यु हो गई।
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