Wednesday, September 24, 2025

धन संपत्ति का मोह छोड़ो, ठीक हो जाओगे

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

लोभ मनुष्य के पतन का कारण बनता है, यह सभी जानते हैं, लेकिन मोह और लोभ से पीछा जिंदगी भर नहीं छूटता है। जिसके पास जितना होता है, व्यक्ति उससे अधिक हासिल कर लेने के ही लोभ में फंसा रहता है। लोग धन-संपत्ति को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। तरीका चाहे जायज हो या नाजायज, बस अथाह धन-संपत्ति होनी चाहिए, यही व्यक्ति की लालसा होती है। 

किसी नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था। वह अपने धन को बढ़ाने के लिए हर जतन किया करता था। जहां से भी और जैसे भी धन आए, वह उस काम को करने से पीछे नहीं हटता था। धीरे-धीरे उसमें इस बात का अहंकार पैदा होने लगा कि वह अपने धन की बदौलत सब सुख हासिल कर सकता है। उसने अपनी जवानी धन कमाने और सुख उठाने में ही बिता दी। 

उसे एक ही बात का दुख था कि उसके कोई औलाद नहीं थी। एक दिन जब वह अपने भव्य महल जैसे मकान में सो रहा था, तो उसने सपने में देखा कि एक अस्पष्ट सी छाया उसके सामने खड़ी है। वह उस छाया को देखकर डर गया। उसने छाया से पूछा कि तुम कौन हो? छाया ने उत्तर दिया-मृत्यु। छाया का जवाब सुनकर उसकी नींद टूट गई। वह डर गया। उसे लगने लगा कि अब उसकी मौत होने वाली है। उसने अपने दुख को दूर करने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहा।

 एक दिन वह एक संत के पास पहुंचा और अपना दुखड़ा सुनाया। संत ने कहा कि मृत्यु और जीवन दोनों मित्र हैं। इनसे डरना कैसा? तुम्हारी समस्या का हल यही है कि तुम एक हाथ से लो और दूसरे हाथ से दो। धन-संपत्ति का मोह त्यागो। मोह त्यागने पर ही तुम्हारा कल्याण है। इसके बाद वह लोगों का कल्याण करने लगा।

1 comment:

  1. बात समझने वाली है और समझ लो तो सबकुछ आसान है ।

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