Friday, September 12, 2025

नदी के डूब क्षेत्र में बस्तियां बसाने का परिणाम तो हर हाल में भुगतना होगा

अशोक मिश्र

पिछले दो-तीन दिनों से भारी बारिश न होने से हरियाणा के कई जिलों में आई बाढ़ और जमा हुआ पानी घटने लगा है। कई जिलों में पानी इतना घट गया है कि अब खेत दिखाई देने लगे हैं। घरों में भी भरा पानी निकाला जा रहा है। यदि हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में आने वाले दिनों में भारी बारिश नहीं होती है, तो उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में हालात सामान्य होने लगेंगे। लोगों का जीवन पहले की तरह सुचारु रूप से चलने लगेगा। लेकिन किसानों को अपनी फसल नष्ट हो जाने का दुख तो रहेगा ही क्योंकि सरकार ने प्रति एकड़ जो मुआवजा देने की घोषणा की है, वह गिरदावरी के बाद ही मिल पाएगी। 

ऐसी हालत में तत्काल किसानों को किसी किस्म की राहत नहीं मिलने वाली है। गांवों और शहरी इलाकों में जिनके घरों में पानी भर गया था, अब उन्हें अपने घर की साफ-सफाई करनी पड़ रही है। मच्छरों और कीट-पतंगों ने भी अपना डेरा ऐसे घरों में बना लिया होगा, ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि स्थानीय निकाय इन इलाकों में फागिंग करवाए, दवाओं का छिड़काव करवाए ताकि मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों से लोगों को बचाया जा सके। 

इस बार हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई है, इसलिए बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिला है। भविष्य में भी अगर सामान्य से अधिक बरसात हुई तो उन इलाकों के लोगों को परेशानी का सामना करना ही पड़ेगा जिन्होंने नदियों के डूब क्षेत्र में अपना घर बना रखा है। देश या विदेश में जितनी भी नदियां हैं, उनके दोनों किनारों की ओर तीन-चार किमी का क्षेत्र डूब क्षेत्र माना जाता है। 

बहुत ज्यादा बरसात होने पर जब नदियां उफान पर आती हैं, तो अतिरिक्त पानी इसी डूब क्षेत्र में भर जाता है और नदियों का उफान कम हो जाता है। इसका फायदा यह होता है कि उफान में आई हुई नदियां ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में नुकसान नहीं कर पाती हैं। इससे नदियों के आसपास बसे शहरों का भूजल स्तर भी बना रहता है, लेकिन पिछले कई दशक से लोगों ने नदियों के डूब क्षेत्र में ही घर बनाने शुरू कर दिए हैं। 

लोगों ने खेती करनी शुरू कर दी है। अब हरियाणा के कुछ जिलों की बात की जाए, तो इस बार बाढ़ और अतिवृष्टि के चलते फरीदाबाद में ही यमुना नदी के बायीं ओर 4.33 किमी और दायीं ओर 5.99 किमी तक बाढ़ का पानी भर गया था। फरीदाबाद में नदी के दोनों ओर जितनी दूरी तक पानी भर गया था, वह यमुना का डूब क्षेत्र था जिसमें अब बहुमंजिली इमारतें, बाजार और लोगों के घर बने हुए हैं। पलवल में सबसे ज्यादा बायीं ओर 8.80 किमी और दायीं ओर 2.72 किमी तक हिस्सा डूब गया जो नदी का डूब क्षेत्र था।

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