हरियाणा की बेटियों ने इतिहास रच दिया। वैसे भी जब से हरियाणा के लोगों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता, प्रेम और सम्मान दिया है, तब से राज्य की बेटियों ने प्रदेश के साथ-साथ देश का भी नाम रोशन किया है। हरियाणवी छोरियां जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के परचम लहरा रही हैं। कल ही लिवरपूल में हुए विश्व मुक्केबाजी चैंपयिनशिप में हरियाणा की चार बेटियों ने इतिहास रच दिया है। बेटियों ने अपने गोल्डन पंच से अपने प्रतिद्ंवद्वी को करारी शिकस्त दी है। 48 किलो भार वर्ग में मीनाक्षी हुड्डा और 57 किलो भार वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता जैस्मिन लंबोरिया ने स्वर्ण पदक जीता है।
वहीं 80 प्लस किलो भार वर्ग में नूपुर श्योरण ने रजत और 80 किलो भार वर्ग में पूजा रानी ने कांस्य पदक जीता। मीनाक्षी हुड्डा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली दसवीं लड़की हैं। भारत ने इस प्रतियोगिता में अब तक दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है। 1966 और 1970 में एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले हवा सिंह की पौत्री नूपुर को फाइनल में पोलैंड की अगाथा काज्मार्स्का के हाथों हार मिली है। पिछले दो-ढाई दशकों में हरियाणा की छोरियों ने खेलों के मामले में सफलता का परचम कई बार लहराया है। हरियाणा सरकार की खेल नीतियों ने इन्हें प्रोत्साहित किया है।
सरकार जिस तरह खिलाड़ियों को सुविधाएं मुहैया करा रही है, उससे प्रदेश के खिलाड़ी आगे बढ़कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। कुश्ती हो, हाकी या कोई दूसरा खेल, हरियाणा की लड़कियों ने हमेशा आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं में जिस तरह हरियाणा के खिलाड़ियों ने अपना प्रदर्शन किया है, उसको देखते हुए दूसरे राज्यों ने भी हरियाणा की खेल नीतियों का अनुसरण करना शुरू कर दिया है।
हरियाणवी छोरे-छोरियां अपनी सफलता की कहानी बस लिखते ही जा रहे हैं। खेल प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें बचपन से ही खेलों की ट्रेनिंग देने के लिए प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में 868 खेल नर्सरियों की मंजूरी दी है। इन खेल नर्सरियों में विििभन्न खेलों में रुचि रखने वाले बच्चों को ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वह अपने खेल को निखार सकें। पूरे देश में हरियाणा ही ऐसा राज्य है जो अपने पदक विजेताओं को सबसे ज्यादा नकद पुरस्कार देती है।
ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता के लिए छह करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता के लिए चार करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेता के लिए 2.5 करोड़ रुपये सरकार प्रदान करती है। इसके साथ उन्हें सरकारी नौकरी भी दी जाती है।
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