Tuesday, September 16, 2025

भगवान बुद्ध का सिर काट लूंगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

स्वामी रामतीर्थ वेदांत दर्शन के अनुयायी थे। वह भारत के महान संतों में गिने जाते हैं। स्वामी रामतीर्थ का जन्म पंजाब के गुजरावालां इलाके में 22 अक्टूबर 1873 को दीपावली के दिन हुआ था। विद्यार्थी जीवन में रामतीर्थ को काफी आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा। इसी बीच इनका बाल विवाह कर दिया गया। अब पढ़ाई के साथ-साथ परिवार का भी बोझ इन पर आ गया। 

किसी तरह छात्रवृत्ति के सहारे रामतीर्थ ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए में सर्वोच्च अंक हासिल किया, तो इन्हें 90 रुपये की छात्रवृत्ति मिली। फिर इन्होंने गणित विषय से एमए किया और जिस कालेज से एमए किया, उसी में गणित के प्रोफसर हो गए। वर्ष 1901 में इन्होंने संन्यास ले लिया और प्रो. तीर्थराम से रामतीर्थ हो गए। अमेरिका में वेदांत का प्रचार करने के बाद वह जापान पहुंचे तो उनका बहुत स्वागत किया गया। 

एक दिन उन्होंने जापान के एक बच्चे से पूछा-बच्चे! तुम किस धर्म को मानते हो? बच्चे ने जवाब दिया-बुद्ध धर्म को।  उन्होंने फिर पूछा-बुद्ध को तुम क्या मानते हो? बच्चे ने बड़े शांत भाव से जवाब दिया-बुद्ध  तो भगवान हैं। स्वामी रामतीर्थ ने फिर पूछा-कन्फ्यूशियस के बारे में तुम क्या सोचते हो? उस बच्चे ने कहा-कन्फ्यूशियस एक महान संत थे। स्वामी जी इतने पर ही नहीं रुके। 

उन्होंने उस बच्चे से पूछा-मान लो कि कोई देश तुम्हारे देश पर हमला कर दे और उस सेना के सेनापति बुद्ध  या कन्फ्यूशियस हों, तो क्या करोगे? इतना सुनते ही उस बच्चे की आंखों में क्रोध उतर आया। उसने कटु शब्दों में कहा कि मैं भगवान बुद्ध का तलवार से सिर काट लूंगा और कन्फ्यूशियस को कुचल दूंगा। यह सुनकर स्वामी रामतीर्थ आश्चर्यचकित रह गए और उसकी राष्ट्रभक्ति से गदगद हो उठे।



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